Search This Blog

Saturday 16 February 2013

[Yaadein_Meri] Students' Character building & Teachers

 

Teachers definitely play a key role in shaping the character and fate of their students. Two interrelated anecdotes included in this article vividly explain this fact. Please do read the middle & last parts "Bus ley kar bhaag gaya" & "Aik Na-Qaabil e Faramosh Waqea" if you don't  have time to read it all. (It won't take more than two minutes) 
Note: Prof Aftab Hasan, commonly known as Major Aftab, was an educationist, linguist and a leading Urdu scholar. He was also instrumental in introducing science education in Pakistani public school system.
نعیم امین  Naeem_Ameen@hotmail.com)

__._,_.___
Reply via web post Reply to sender Reply to group Start a New Topic Messages in this topic (1)
Recent Activity:
.

__,_._,___

[Yaadein_Meri] "AKBERUDDIN OWAISI -RELEASE ALL VID-MUST SEE &WATCH"

 
__,_._,___

[Yaadein_Meri] Islamic Book......

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
Assalam - O - Alaikum,
 
A great Islamic book. Do read and benefit.
 
 
 
Allah Hafiz.
 
 
 

__._,_.___
Reply via web post Reply to sender Reply to group Start a New Topic Messages in this topic (1)
Recent Activity:
.

__,_._,___

~:C.C.4.U:~ Fw: <<DelhiFriendClub>> सत्य...............


----- Forwarded Message -----
From: BHUSHAN GAJAPURE <bjg7480@yahoo.co.in>
To: "delhifriendclub@yahoogroups.com" <delhifriendclub@yahoogroups.com>
Sent: Saturday, 16 February 2013 5:59 PM
Subject: <<DelhiFriendClub>> सत्य...............

बी.बी.सी. कहता है...........
ताजमहल...........
एक छुपा हुआ सत्य..........
कभी मत कहो कि.........
यह एक मकबरा है.......... 
 ताजमहल का आकाशीय दृश्य...... 


आतंरिक पानी का कुंवा............
 
ताजमहल और गुम्बद के सामने का दृश्य 
गुम्बद और शिखर के पास का दृश्य.....
 
शिखर के ठीक पास का दृश्य.........  
आँगन में शिखर के छायाचित्र कि बनावट.....
 
प्रवेश द्वार पर बने लाल कमल........   
ताज के पिछले हिस्से का दृश्य और बाइस कमरों का समूह........   
पीछे की खिड़कियाँ और बंद दरवाजों का दृश्य........   
विशेषतः वैदिक शैली मे निर्मित गलियारा.....   
मकबरे के पास संगीतालय........एक विरोधाभास.........
 
ऊपरी तल पर स्थित एक बंद कमरा.........

 
निचले तल पर स्थित संगमरमरी कमरों का समूह.........
 
दीवारों पर बने हुए फूल......जिनमे छुपा हुआ है ओम् ( ॐ ) ....
 
निचले तल पर जाने के लिए सीढियां........
 
कमरों के मध्य 300फीट लंबा गलियारा..   
निचले तल के२२गुप्त कमरों मे सेएककमरा...   
२२ गुप्त कमरों में से एक कमरे का आतंरिक दृश्य.......

  


अन्य बंद कमरों में से एक आतंरिक दृश्य..     
एक बंद कमरे की वैदिक शैली में 
निर्मित छत......
 
ईंटों से बंद किया गया विशाल रोशनदान .....

 
दरवाजों में लगी गुप्त दीवार,जिससे अन्य कमरों का सम्पर्क था.....
 
बहुत से साक्ष्यों को छुपाने के लिए,गुप्त ईंटों से बंद किया गया दरवाजा......

 
बुरहानपुर मध्य प्रदेश मे स्थित महल जहाँ मुमताज-उल-ज़मानी कि मृत्यु हुई थी.......

 
बादशाह नामा के अनुसार,, इस स्थान पर मुमताज को दफनाया गया......... 




 
अब कृपया  इसे पढ़ें ......... 

प्रो.पी. एन. ओक. को छोड़ कर किसी ने कभी भी इस कथन को चुनौती नही दी कि........ 

"
ताजमहल शाहजहाँ ने बनवाया था" 

प्रो.ओक. अपनी पुस्तक "TAJ MAHAL - THE TRUE STORY" द्वारा इस 
बात में विश्वास रखते हैं कि,-- 
सारा विश्व इस धोखे में है कि खूबसूरत इमारत ताजमहल को मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने बनवाया था..... 
ओक कहते हैं कि...... 
ताजमहल प्रारम्भ से ही बेगम मुमताज का मकबरा न होकर,एक हिंदू प्राचीन शिव मन्दिर है जिसे तब तेजो महालय कहा जाता था. 
अपने अनुसंधान के दौरान ओक ने खोजा कि इस शिव मन्दिर को शाहजहाँ ने जयपुर के महाराज जयसिंह से अवैध तरीके से छीन लिया था और इस पर अपना कब्ज़ा कर लिया था,, 
=>
शाहजहाँ के दरबारी लेखक "मुल्ला अब्दुल हमीद लाहौरी "ने अपने "बादशाहनामा" में मुग़ल शासक बादशाह का सम्पूर्ण वृतांत 1000  से ज़्यादा पृष्ठों मे लिखा है,,जिसके खंड एक के पृष्ठ 402 और 403 परइस बात का उल्लेख है किशाहजहाँ की बेगम मुमताज-उल-ज़मानी जिसे मृत्यु के बादबुरहानपुर मध्य प्रदेश में अस्थाई तौर पर दफना दिया गया था और इसके ०६ माह बाद,तारीख़ 15 ज़मदी-उल- अउवल दिन शुक्रवार,को अकबराबाद आगरा लाया गया फ़िर उसे महाराजा जयसिंह से लिए गए,आगरा में स्थित एक असाधारण रूप से सुंदर और शानदार भवन (इमारते आलीशान) मे पुनः दफनाया गया,लाहौरी के अनुसार राजा जयसिंह अपने पुरखों कि इस आली मंजिल से बेहद प्यार करते थे ,पर बादशाह के दबाव मे वह इसे देने के लिए तैयार हो गए थे. 
इस बात कि पुष्टि के लिए यहाँ ये बताना अत्यन्त आवश्यक है कि जयपुर के पूर्व महाराज के गुप्त संग्रह में वे दोनो आदेश अभी तक रक्खे हुए हैं जो शाहजहाँ द्वारा ताज भवन समर्पित करने के लिए राजा 
जयसिंह को दिए गए थे....... 
=>
यह सभी जानते हैं कि मुस्लिम शासकों के समय प्रायः मृत दरबारियों और राजघरानों के लोगों को दफनाने के लिएछीनकर कब्जे में लिए गए मंदिरों और भवनों का प्रयोग किया जाता था , 
उदाहरनार्थ हुमायूँअकबरएतमाउददौला और सफदर जंग ऐसे ही भवनों मे दफनाये गए हैं .... 
=>
प्रो. ओक कि खोज ताजमहल के नाम से प्रारम्भ होती है---------  
="
महलशब्दअफगानिस्तान से लेकर अल्जीरिया तक किसी भी मुस्लिम देश में भवनों के लिए प्रयोग नही किया जाता... 
यहाँ यह व्याख्या करना कि महल शब्द मुमताज महल से लिया गया है......वह कम से कम दो प्रकार से तर्कहीन है--------- 
पहला -----शाहजहाँ कि पत्नी का नाम मुमताज महल कभी नही था,,,बल्कि उसका नाम मुमताज-उल-ज़मानी था ... 
और दूसरा-----किसी भवन का नामकरण किसी महिला के नाम के आधार पर रखने के लिए केवल अन्तिम आधे भाग (ताज)का ही प्रयोग किया जाए और प्रथम अर्ध भाग (मुम) को छोड़ दिया जाए,,,यह समझ से परे है... 
प्रो.ओक दावा करते हैं कि,ताजमहल नाम तेजो महालय (भगवान शिव का महल) का बिगड़ा हुआ संस्करण हैसाथ ही साथ ओक कहते हैं कि---- 
मुमताज और शाहजहाँ कि प्रेम कहानी,चापलूस इतिहासकारों की भयंकर भूल और लापरवाह पुरातत्वविदों की सफ़ाई से स्वयं गढ़ी गई कोरी अफवाह मात्र है क्योंकि शाहजहाँ के समय का कम से कम एक शासकीय अभिलेख इस प्रेम कहानी की पुष्टि नही करता है..... 
 इसके अतिरिक्त बहुत से प्रमाण ओक के कथन का प्रत्यक्षतः समर्थन कर रहे हैं......तेजो महालय (ताजमहल) मुग़ल बादशाह के युग से पहले बना था और यह भगवान् शिव को समर्पित था तथा आगरा के राजपूतों द्वारा पूजा जाता था---==>न्यूयार्क के पुरातत्वविद प्रो. मर्विन मिलर ने ताज के यमुना की तरफ़ के दरवाजे की लकड़ी की कार्बन डेटिंग के आधार पर 1985 में यह सिद्ध किया कि यह दरवाजा सन् 1359 के आसपास अर्थात् शाहजहाँ के काल से लगभग 300 वर्ष पुराना है... 
==>
मुमताज कि मृत्यु जिस वर्ष (1631) में हुई थी उसी वर्ष के अंग्रेज भ्रमण कर्ता पीटर मुंडी का लेख भी इसका समर्थन करता है कि ताजमहल मुग़ल बादशाह के पहले का एक अति महत्वपूर्ण भवन था...... 
==>
यूरोपियन यात्री जॉन अल्बर्ट मैनडेल्स्लो ने सन् 1638 (मुमताज कि मृत्यु के 07 साल बाद) में आगरा भ्रमण किया और इस शहर के सम्पूर्ण जीवन वृत्तांत का वर्णन किया,,परन्तु उसने ताज के बनने का कोई भी सन्दर्भ नही प्रस्तुत किया,जबकि भ्रांतियों मे यह कहा जाता है कि ताज का निर्माण कार्य1631 से 1651 तक जोर शोर से चल रहा था...... 
==>
फ्रांसीसी यात्री फविक्स बर्निअर एम.डी. जो औरंगजेब द्वारा गद्दीनशीन होने के समय भारत आया था और लगभग दस साल यहाँ रहा,के लिखित विवरण से पता चलता है कि,औरंगजेब के शासन के समय यह झूठ फैलाया जाना शुरू किया गया कि ताजमहल शाहजहाँ ने बनवाया था....... 
प्रो. ओक. बहुत सी आकृतियों और शिल्प सम्बन्धी असंगताओं को इंगित करते हैं जो इस विश्वास का समर्थन करते हैं कि,ताजमहल विशाल मकबरा न होकर विशेषतः हिंदू शिव मन्दिर है....... 
आज भी ताजमहल के बहुत से कमरे शाहजहाँ के काल से बंद पड़े हैं,जो आम जनता की पहुँच से परे हैं   
प्रो. ओक.जोर देकर कहते हैं कि हिंदू मंदिरों में ही पूजा एवं धार्मिक संस्कारों के लिए भगवान् शिव की मूर्ति,त्रिशूल,कलश और ॐ आदि वस्तुएं प्रयोग की जाती हैं....... 
==>
ताज महल के सम्बन्ध में यह आम किवदंत्ती प्रचलित है कि ताजमहल के अन्दर मुमताज की कब्र पर सदैव बूँद बूँद कर पानी टपकता रहता है,, यदि यह सत्य है तो पूरे विश्व मे किसी किभी कब्र पर बूँद बूँद कर पानी नही टपकाया जाता,जबकि प्रत्येक हिंदू शिव मन्दिर में ही शिवलिंग पर बूँद बूँद कर पानी टपकाने की व्यवस्था की जाती है,फ़िर ताजमहल (मकबरे) में बूँद बूँद कर पानी टपकाने का क्या मतलब....???? 
राजनीतिक भर्त्सना के डर से इंदिरा सरकार ने ओक की सभी पुस्तकें स्टोर्स से वापस ले लीं थीं और इन पुस्तकों के प्रथम संस्करण को छापने वाले संपादकों को भयंकर परिणाम भुगत लेने की धमकियां भी दी गईं थीं.... 
प्रो. पी. एन. ओक के अनुसंधान को ग़लत या सिद्ध करने का केवल एक ही रास्ता है कि वर्तमान केन्द्र सरकार बंद कमरों को संयुक्त राष्ट्र के पर्यवेक्षण में खुलवाएऔर अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों को छानबीन करने दे .... 
ज़रा सोचिये....!!!!!! 
कि यदि ओक का अनुसंधान पूर्णतयः सत्य है तो किसी देशी राजा के बनवाए गए संगमरमरी आकर्षण वाले खूबसूरत,शानदार एवं विश्व के महान आश्चर्यों में से एक भवन, "तेजो महालय"को बनवाने का श्रेय बाहर से आए मुग़ल बादशाह शाहजहाँ को क्यों......????? 
तथा......  
इससे जुड़ी तमा यादों का सम्बन्ध मुमताज-उल-ज़मानी से क्यों........??????? 
आंसू टपक रहे हैंहवेली के बाम से,,,,,,,,
रूहें लिपट के रोटी हैं हर खासों आम से.....
अपनों ने बुना था हमें,कुदरत के काम से,,,,
फ़िर भी यहाँ जिंदा हैं हम गैरों के नाम से......

DEAR INDIAN pass this to every one  u know.also tell ur childrens about the truth of TAJMAHAL.its our responsibilty and we